बीजेपी विधायक संजय पाठक पर बैगा आदिवासियों की 1111 एकड़ ज़मीन हड़पने के आरोप, जांच जारी sahara land scam,
आदिवासी ज़मीन घोटाला: गरीबों के नाम पर खरीद, असली मालिक कौन?
मध्य प्रदेश में एक बड़ा ज़मीन घोटाला सामने आया है, जिसमें भाजपा विधायक संजय पाठक और उनके चार कर्मचारियों पर बैगा आदिवासियों की 1111 एकड़ ज़मीन अवैध तरीके से हड़पने के आरोप लगे हैं। यह मामला डिंडोरी, उमरिया, जबलपुर, कटनी और सिवनी जिलों से जुड़ा है, जहाँ आदिवासियों को मोहरा बनाकर उनकी ज़मीनें खरीदी गईं।
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Sahara land scam संजय पाठक फोटो (social media) |
क्या है पूरा मामला?
- दिव्यांशु मिश्रा नामक शिकायतकर्ता ने कटनी एसपी को शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भू-माफिया आदिवासियों की ज़मीनें सरकारी नियमों में छेद करके खरीद रहे हैं।
- आरोप है कि संजय पाठक के चार कर्मचारियों—नत्थू कोल, प्रहलाद कोल, राकेश सिंह गौड़ और रघुराज सिंह गौड़—के नाम पर ये ज़मीनें दर्ज हैं, जबकि ये सभी गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन करने वाले हैं।
- इनमें से कुछ के परिवार मनरेगा मज़दूर हैं, तो किसी के पास महज 2 एकड़ पुश्तैनी ज़मीन है, लेकिन उनके नाम सैकड़ों एकड़ ज़मीन दर्ज है।
भ्रष्टाचार के चार मोहरे: कौन हैं ये लोग?
1. रघुराज सिंह गौड़ – BPL कार्डधारक, लेकिन 410 एकड़ ज़मीन के मालिक
- डिंडोरी, जबलपुर और कटनी में 410 एकड़ ज़मीन दर्ज है।
- 17 जनवरी 2022 को BPL राशन कार्ड से 30 किलो गेहूं और 2 किलो नमक लिया, जबकि उसी समय उनके नाम ज़मीन खरीदी जा रही थी।
- पैतृक ज़मीन सिर्फ 2.05 एकड़ है, जो पहले से ही दृष्टिबंधक (mortgaged) है।
2. नत्थू कोल – सरकारी राशन पर निर्भर, पर 369.70 एकड़ ज़मीन के मालिक
- डिंडोरी, उमरिया, जबलपुर, कटनी और सिवनी में 369.70 एकड़ ज़मीन दर्ज है।
- BPL कार्डधारक, परिवार ने 22 अप्रैल 2024 को 12 किलो गेहूं, 18 किलो चावल और 1 किलो नमक सरकारी राशन से लिया।
- जबकि उसी दौरान उनके नाम पर सैकड़ों एकड़ ज़मीन खरीदी जा रही थी।
3. प्रहलाद कोल – 199.40 एकड़ ज़मीन के मालिक, लेकिन सरकारी सहायता लेते हैं
- डिंडोरी, जबलपुर और कटनी में 199.40 एकड़ ज़मीन दर्ज है
- 12 मई 2025 को BPL कार्ड से 6 किलो गेहूं, 9 किलो चावल और 1 किलो नमक लिया।
- योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, लेकिन उनके नाम पर बड़ी ज़मीनें हैं।
4. राकेश सिंह गौड़ – मनरेगा मज़दूर, पर 132.88 एकड़ ज़मीन के मालिक
- डिंडोरी, उमरिया, कटनी और सिवनी में 132.88 एकड़ ज़मीन दर्ज है।
- BPL कार्डधारक, परिवार मनरेगा में काम करता है।
- पत्नी और बेटी भी मज़दूर हैं, लेकिन उनके नाम पर सैकड़ों एकड़ ज़मीन है।
बॉक्साइट खनन का संदेह: क्या ज़मीनों का उपयोग खदान के लिए हो रहा है? Sahara land scam
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि डिंडोरी जिले में 2009 से 795 एकड़ ज़मीन गरीब बैगा आदिवासियों से धोखे से खरीदी गई है। आरोप है कि इन ज़मीनों को बॉक्साइट खनन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
चूंकि आदिवासी ज़मीन सिर्फ आदिवासी ही खरीद सकते हैं, इसलिए गरीब आदिवासियों को मोहरा बनाकर ज़मीन हासिल की गई।
पुलिस जांच कहाँ तक पहुँची?
- कटनी एसपी डॉ. संतोष डेहरिया ने बताया कि शिकायत की जांच चल रही है।
- एएसपी को जांच सौंपी गई है और रिपोर्ट सीनियर अधिकारियों को भेजी जाएगी।
- अभी तक संजय पाठक ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
निष्कर्ष: क्या यह सिर्फ एक और ज़मीन घोटाला है?
यह मामला एक बार फिर आदिवासी ज़मीनों की अवैध खरीद-फरोख्त और भू-माफियाओं की साजिश को उजागर करता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा। अब देखना है कि पुलिस और प्रशासन कितनी गंभीरता से इस मामले को लेते हैं।