लीला साहू: सोशल मीडिया स्टार जो ग्रामीण मुद्दों को उठा रही हैं
गांव की आवाज बनीं 22 वर्षीय लीला साहू
मध्य प्रदेश के सीधी जिले की रहने वाली 22 वर्षीय लीला साहू आज सोशल मीडिया पर एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं। उनके YouTube, Instagram और Facebook पर 23 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, जो उनकी वीडियोस को ध्यान से देखते हैं। लेकिन लीला की लोकप्रियता का कारण सिर्फ उनका कंटेंट नहीं, बल्कि उनकी साहसी आवाज है, जो ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को बुलंद करती है।
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लीला साहू (फोटो social media) |
कैसे शुरू हुआ सफर?
लीला ने 2022 में लॉन्ग-फॉर्म कंटेंट बनाना शुरू किया था। शुरुआत में उनके वीडियोस में स्थानीय मेले, यात्राएं और उनके परिवार का कृषि जीवन दिखाई देता था। लेकिन 2024 से उन्होंने अपने गांव और आसपास के इलाकों की समस्याओं को उठाना शुरू किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सीधी के सांसद राजेश मिश्रा को टैग करते हुए सड़कों, स्वास्थ्य सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी को लेकर आवाज उठाई।
गर्भावस्था के दौरान सड़क की लड़ाई
पिछले साल जब लीला गर्भवती हुईं, तो उन्होंने अपने गांव तक पक्की सड़क बनाने की मांग को लेकर स्थानीय नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने एक वीडियो बनाकर सवाल उठाया: "सिर्फ एक सर्वे हुआ, बारिश आई और चली गई, फिर सर्दी, फिर गर्मी। अब फिर बारिश हो रही है, लेकिन सड़क नहीं बनी।"
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उनके गांव खड्डी खुर्द तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जहां रास्ते टूटे और कच्चे हैं। प्रसव के समय अस्पताल पहुंचना एक बड़ी चुनौती है। जब उन्होंने यह मुद्दा उठाया, तो सांसद राजेश मिश्रा का बयान विवादों में घिर गया। उन्होंने कहा कि "प्रसव की एक तारीख तय होती है, महिलाओं को एक हफ्ते पहले ही अस्पताल पहुंच जाना चाहिए।"
इस बयान की काफी आलोचना हुई, जिसके बाद सांसद ने सफाई दी कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है और 17 महीनों में काम पूरा हो जाएगा।
सरकारी अधिकारियों की प्रतिक्रिया
सीधी जिले के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 5 किलोमीटर की सड़क का प्रस्ताव मार्च 2025 में भेजा गया था। उन्होंने कहा, "राज्य स्तर पर मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा।"
लेकिन लीला को इन आश्वासनों पर भरोसा नहीं। उनका कहना है कि "मेरी और मेरी ननद की डिलीवरी की तारीख नजदीक है। हमारे इलाके में छह और गर्भवती महिलाएं हैं, जिन्हें इस खराब सड़क के कारण अस्पताल पहुंचने में घंटों लगते हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो मैं डिलीवरी के बाद दिल्ली जाकर नितिन गडकरी से मिलूंगी।"
"हम 1990 के दशक में जी रहे हैं"
लीला साहू पर कुछ लोगों ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने का आरोप भी लगाया है। लेकिन वह स्पष्ट करती हैं कि उनका मकसद सिर्फ ग्रामीणों की समस्याओं को उजागर करना है। उन्होंने कहा, "मेरे पहले से ही 50 लाख फॉलोअर्स हैं, मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं। मैं चाहती हूं कि हमारे नेता जवाबदेह बनें। आप सब 2025 में जी रहे हैं, लेकिन हम 1990 के दशक में फंसे हैं। हमारे पास पक्की सड़कें नहीं, नलों में पानी नहीं आता। अगर मुझे इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड करना हो, तो नेटवर्क के लिए 1 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।"
निष्कर्ष: एक युवा आवाज जो बदलाव चाहती है
लीला साहू की कहानी सिर्फ एक सोशल मीडिया स्टार की नहीं, बल्कि उस युवा शक्ति की है जो ग्रामीण भारत की वास्तविकताओं को बदलना चाहती है। उनकी लड़ाई सिर्फ सड़कों के लिए नहीं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं और सम्मानजनक जीवन के लिए है। उनकी आवाज अब सिर्फ एक गांव तक नहीं, बल्कि पूरे देश तक पहुंच चुकी है।