जबलपुर के सीएम राइज स्कूल में बिरयानी-रसगुल्ला घोटाला: चपरासी बना 'सुपरमैन' Scam in CM Rise School of Jabalpur
स्कूल में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा
जबलपुर के चरगवां स्थित सीएम राइज संदीपनी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। कागजों में बिरयानी, रसगुल्ले और निर्माण कार्य दिखाए गए हैं, लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ। एक सफाईकर्मी के नाम पर लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए, जबकि प्रिंटर की इंक जयपुर से मंगवाई गई और पौधारोपण के झूठे दावे किए गए। शिक्षा विभाग मामले की जांच कर रहा है।
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Jabalpur Scam news |
कागजों में बिरयानी, हकीकत में खाली प्लेट
स्कूल के दस्तावेजों में छात्र-छात्राओं को बिरयानी, रसगुल्ला, वेज पुलाव और जलेबी खिलाए जाने का दावा किया गया है, लेकिन वास्तव में बच्चों को कुछ भी नहीं मिला। इसके अलावा, कागजों में पुताई, टाइल्स लगाने और रंग-रोगन जैसे कार्य दिखाए गए हैं, जबकि स्कूल की छत गिरने की स्थिति में है और बच्चे डर के साए में पढ़ाई कर रहे हैं।
चपरासी बन गया 'सुपरमैन'
स्कूल के सफाईकर्मी हीरालाल झारिया को कागजों में 'सुपरमैन' की तरह पेश किया गया है। उसके नाम पर मजदूरी, पुताई, पेंटिंग, मिट्टी समतलीकरण, वाशरूम निर्माण, नल कनेक्शन और पुष्प सज्जा तक के सारे काम दर्ज किए गए हैं। जांच में पता चला है कि हीरालाल और दो अन्य चपरासियों के खाते में लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए। यहां तक कि जूते-चप्पल रखने के स्टैंड पर 8,000 रुपये का बिल लगाया गया।
जयपुर से मंगवाई गई प्रिंटर इंक
घोटाले में एक और चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि स्कूल में उपयोग के लिए राजस्थान के जयपुर से प्रिंटर की इंक मंगवाई गई। यह बिल संदेहास्पद है क्योंकि स्थानीय स्तर पर भी यह सामान उपलब्ध हो सकता था। इसके अलावा, सरकारी दस्तावेजों में स्कूल को हरा-भरा दिखाने के लिए पौधारोपण का दावा किया गया, लेकिन वास्तव में कोई पुष्प सज्जा नहीं की गई।
लाखों रुपये का गबन
शिकायतकर्ता दुर्गेश चढ़ार के अनुसार, स्कूल के स्वीपर हीरालाल झारिया के खाते में डेढ़ लाख रुपये से अधिक की राशि डाली गई। इसके अलावा, सुरक्षा गार्ड दीपक लोधी के खाते में 1 लाख 5 हजार 258 रुपये ट्रांसफर किए गए। अन्य कर्मचारियों जैसे आशीष मोरिया, अतुल झरिया और लीलाबाई बर्मन के खातों में भी पैसा डाला गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर टेंट के लिए 53 हजार रुपये के बिल लगाए गए, जो मोनू इलेक्ट्रिक के नाम से जारी किए गए।
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प्राचार्य और कर्मचारियों का बचाव
स्कूल के प्राचार्य बीएस पटेल ने आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि आउटसोर्स कर्मचारियों से केवल छुट्टी के समय में काम कराया गया था और पेड़-पौधे लगवाने का कार्य ही कराया गया। वहीं, सफाईकर्मी हीरालाल झारिया ने दावा किया कि उसके खाते में कोई पैसा नहीं आया और वह सिर्फ अपना नियमित काम करता है।
विभागीय जांच जारी
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण विभाग, जबलपुर संभाग के जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार इंगले ने बताया कि मामले की दो बार जांच की जा चुकी है। जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है और यदि किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है, तो दोबारा जांच करके कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष
यह मामला सरकारी स्कूलों में हो रही वित्तीय अनियमितताओं की एक बड़ी तस्वीर पेश करता है। बच्चों के भविष्य से जुड़े संस्थानों में इस तरह के घोटाले शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। अब देखना यह है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई होती है।