हैदराबाद: तेलंगाना की एक वरिष्ठ IAS अधिकारी के बयान को लेकर राज्य में तूफान खड़ा हो गया है। आईएएस अधिकारी डॉ. वी.एस. अलगु वर्षिनी का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ है, जिसमें वह गुरुकुल स्कूल के दलित छात्रों से शौचालय और हॉस्टल के कमरों की सफाई करने को कहती हुई सुनाई दे रही हैं।
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तेलंगाना IAS अधिकारी का बयान हुआ विवादास्पद (फोटो-Indian Express) |
इस ऑडियो ने एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है, जिसके चलते राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर कार्रवाई की मांग की है।
वायरल ऑडियो: क्या कहा गया?
- अधिकारी की आवाज़: ऑडियो में साफ तौर पर डॉ. वर्षिनी की आवाज़ सुनाई देती है, जो उस समय तेलंगाना सोशल वेल्फेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसायटी (TGSWREIS) की सचिव हैं। ये संस्था राज्य के अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए चलने वाले आवासीय स्कूलों (गुरुकुल) की देखरेख करती है।
- विवादास्पद बयान: ऑडियो में अधिकारी कहती हैं:
"छात्रों को कमरे की सफाई करनी चाहिए। उनके कमरे कौन साफ करेगा? एक बार को सफाई कर्मचारी साफ कर देगा। वे अपने शौचालय खुद क्यों नहीं साफ कर सकते? इसमें क्या गलत है? मैं किसी को लग्जरी नहीं दे सकती।"
- प्रतिक्रिया का स्रोत: माना जा रहा है कि यह ऑडियो एक स्कूल के दौरे या बैठक के दौरान रिकॉर्ड किया गया था, जहां उन्होंने छात्रों या स्टाफ को यह निर्देश दिए।
राष्ट्रीय SC आयोग ने उठाया कदम: नोटिस जारी
वायरल ऑडियो ने तत्काल प्रतिक्रिया को जन्म दिया:
1. तत्काल संज्ञान: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संज्ञान लिया।
2. नोटिस जारी: आयोग ने तेलंगाना राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को आधिकारिक नोटिस भेजा है।
3. कार्रवाई की मांग: नोटिस में आरोपी IAS अधिकारी डॉ. वर्षिनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
4. समयसीमा: आयोग ने राज्य प्रशासन से 15 दिनों के भीतर इस मामले पर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
5. आरोप का सार: आयोग ने इसे दलित छात्रों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और उन्हें सफाई कर्मचारी के काम करने के लिए बाध्य करने का प्रयास माना है।
राजनीति गरमाई: विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
मामला तेजी से राजनीतिक रंग ले चुका है, खासकर विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (BRS) की तरफ से:
- पार्टी नेता आर.एस. प्रवीण कुमार:
- मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से सीधा सवाल किया: "क्या आपके बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं, उसका बाथरूम साफ करते हैं?"
- मांग: डॉ. वर्षिनी की तत्काल बर्खास्तगी।
- आरोप: "IAS अधिकारी गुरुकुल स्कूलों में पढ़ने वाले दलित छात्रों के साथ भेदभाव कर रही हैं। वर्षिणी जी का ये आदेश बेहद अपमानजनक है और नौकरशाही में मनुवादी मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे आदेशों पर सवाल उठाने वाले अभिभावकों को वह धमका रही हैं।"
- BRS MLC कलवकुंतला कविता:
- उन्होंने वायरल ऑडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया।
- वित्तीय कटौती का आरोप: उन्होंने दावा किया कि पिछली BRS सरकार हर सामाजिक कल्याण स्कूल में 4 अस्थायी कर्मचारियों के लिए 40,000 रुपये प्रति माह देती थी, लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार ने मई से यह फंडिंग बंद कर दी है।
- परिणाम: "अब छात्र वार्डन की भूमिका निभाने को मजबूर हैं। यह व्यवहार भेदभावपूर्ण और शोषणकारी है। यह बाल अधिकारों और सम्मान के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।"
अधिकारी की सफाई: "गलत मतलब न निकालें, घर पर भी तो मदद करते हैं"
विवाद बढ़ने के बाद डॉ. वी.एस. अलगु वर्षिनी ने अपना पक्ष रखा:
- दूसरा ऑडियो जारी: उन्होंने सोशल मीडिया पर एक और ऑडियो क्लिप साझा करते हुए सफाई दी।
- अपील: उन्होंने छात्रों के मुद्दों का "राजनीतिकरण न करने" और उनके शब्दों का "गलत मतलब न निकालने" की अपील की।
- तर्क: उनका कहना है कि बच्चों का घर पर माता-पिता की मदद करना (जिसमें सफाई भी शामिल हो सकती है) एक सामान्य दिनचर्या है और इससे उन्हें जिम्मेदार और जागरूक व्यक्ति बनने में मदद मिलती है।
- सफाई कर्मचारियों की कमी से इनकार: उन्होंने स्कूलों में सफाई कर्मचारियों की कमी के आरोपों को "निराधार" बताया।
गंभीर सवाल: भेदभाव या अनुशासन का सवाल?
यह विवाद कई गंभीर मुद्दों को उजागर करता है:
1. सामाजिक संवेदनशीलता: भारत के दुखद इतिहास में दलित समुदाय को जबरन सफाई जैसे काम करने के लिए बाध्य किया जाता रहा है। ऐसे में एक आदिवासी/दलित कल्याण विभाग की प्रमुख अधिकारी द्वारा दलित छात्रों से ऐसा काम करने को कहना, भले ही उसका इरादा अनुशासन सिखाना हो, गहरी ऐतिहासिक चोट और भेदभाव की याद दिलाता है।
2. बाल अधिकार: स्कूलों में बच्चों से सफाई जैसे काम करवाना, खासकर शौचालयों की, बाल अधिकारों के विरुद्ध माना जा सकता है। बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि उनसे ऐसे काम लेना जो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है।
3. संस्थागत जिम्मेदारी: स्कूलों में सफाई व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन और नियुक्त सफाई कर्मचारियों का काम है। छात्रों से यह काम करवाना संस्था की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने जैसा है।
4. अधिकारियों की संवेदनशीलता: इस घटना से सरकारी अधिकारियों, विशेषकर जो समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण से जुड़े हैं, के लिए सामाजिक-ऐतिहासिक संवेदनशीलता के महत्व पर सवाल खड़े होते हैं।
आगे की राह: आयोग के नोटिस का इंतजार
- अब सभी की निगाहें तेलंगाना सरकार पर टिकी हैं कि वह राष्ट्रीय SC आयोग के नोटिस के जवाब में क्या कार्रवाई करती है।
- डॉ. वर्षिनी का बचाव या उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्या होगी, यह देखना अहम होगा।
- इस मामले ने राज्य में दलित छात्रों के साथ होने वाले व्यवहार और आवासीय स्कूलों में उनकी परिस्थितियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
- यह घटना सरकारी अधिकारियों को यह याद दिलाती है कि उनके शब्दों और आदेशों का गहरा सामाजिक प्रभाव हो सकता है और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस विवाद का समाधान सिर्फ एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई से नहीं, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में दलित छात्रों के सम्मान और समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थागत बदलावों और संवेदनशीलता प्रशिक्षण से ही संभव है।
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