डबलिन की गलियों में सदियों से चली आ रही कहानियों और परंपराओं में एक नया मोड़ आया है। आयरलैंड की राजधानी में स्थित मशहूर कांस्य मूर्ति "मॉली मलोन" के साथ जुड़ी एक परंपरा अब विवादों में घिर गई है। दशकों से पर्यटक और स्थानीय लोग इस मूर्ति की छाती छूकर अपनी किस्मत चमकाने की कोशिश करते थे, लेकिन अब इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आखिर क्यों बदल गया इस मूर्ति का रंग और कैसे बिगड़ा इसकी गरिमा का मामला? आइए समझते हैं पूरा मामला।
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परंपरा का इतिहास: छाती छूने से जुड़ा था 'सौभाग्य' का मिथक
मॉली मलोन की मूर्ति डबलिन के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण रही है। 1988 में कलाकार जीन रिनहार्ट द्वारा बनाई गई यह मूर्ति डबलिन की लोककथाओं में वर्णित एक महिला के चरित्र को दर्शाती है। कहा जाता है कि मॉली दिन में मछली बेचती थीं और रात को सेक्स वर्कर के तौर पर काम करती थीं। हालांकि, इतिहासकार इस बात को लेकर एकमत नहीं हैं।समय के साथ मूर्ति की छाती छूने को लेकर एक अजीबोगरीब मिथक जुड़ गया। पर्यटकों को बताया जाता था कि मूर्ति को छूने से सौभाग्य मिलता है। इसी वजह से हजारों लोग हर साल मूर्ति के सामने फोटो खिंचवाते और उसकी छाती को हाथ लगाकर "लकी" महसूस करते थे। यह प्रथा इतनी लोकप्रिय हुई कि इसे डबलिन की संस्कृति का हिस्सा मान लिया गया।
मूर्ति को हुआ नुकसान: रंग बदला, गरिमा पर सवाल
लगातार छूने की वजह से मूर्ति के कांस्य शरीर पर गहरा असर पड़ा। मूर्ति की छाती का हिस्सा घिसकर चमकीला हो गया, जबकि बाकी हिस्सों का रंग मद्धम पड़ गया। स्थानीय प्रशासन को शिकायतें मिलीं कि मूर्ति के साथ "अनुचित व्यवहार" हो रहा है। कुछ लोगों ने इसे अश्लील मुद्राओं में फोटो खिंचवाने के लिए भी इस्तेमाल किया, जिससे मॉली की छवि को ठेस पहुंची।ये भी पढ़ें: आ गई bajaj की 100 cc नई बाइक
डबलिन सिटी काउंसिल के आर्ट्स ऑफिसर रे येट्स ने एक सवाल उठाया: _"अगर किसी इंसान के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है, तो मूर्ति के साथ ऐसा करना क्यों स्वीकार्य माना जा रहा था?"_ उनके मुताबिक, यह प्रथा मूर्ति की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गरिमा के खिलाफ थी।
प्रशासन का कदम: 'नो टचिंग' के निर्देश और सुरक्षा
इस मामले पर कार्रवाई करते हुए डबलिन सिटी काउंसिल ने 6 मई को मूर्ति के पास 'नो टचिंग' के बोर्ड लगा दिए। साथ ही, वहां सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया ताकि लोग मूर्ति को छूने से बचें। हालांकि, ये सुरक्षाकर्मी पुलिस नहीं हैं, बल्कि इस पहल का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है।इसके अलावा, मूर्ति को वर्तमान स्थान से हटाकर किसी अन्य जगह शिफ्ट करने का भी प्रस्ताव है। प्रशासन का मानना है कि ऐसा करने से मूर्ति को भीड़ और अनावश्यक छेड़छाड़ से बचाया जा सकेगा।
मॉली मलोन कौन हैं? इतिहास और विवाद
मॉली मलोन को डबलिन के श्रमिक वर्ग का प्रतीक माना जाता है। लोकगीतों के अनुसार, वह 17वीं सदी में रहती थीं और सीफूड बेचकर जीवनयापन करती थीं। हालांकि, उनकी कहानी में एक विवादित पहलू भी जुड़ा है। कुछ लोककथाओं में उन्हें "टार्ट विद द कार्ट" (गाड़ी चलाने वाली सेक्स वर्कर) कहा गया, क्योंकि मान्यता थी कि वह रात में सेक्स वर्क का काम करती थीं।इसी नाम को लेकर मूर्ति को भी कई बार अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। स्थानीय कलाकारों और इतिहासकारों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि मॉली मलोन डबलिन की मेहनतकश महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, न कि किसी अश्लील छवि का।
विवाद और सामाजिक प्रतिक्रिया
पिछले साल संगीतकार और एक्टिविस्ट टिली क्रिपवेल ने 'Leave Molly Alone' नाम से एक अभियान शुरू किया था। उनका कहना था कि मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करना महिलाओं के प्रति समाज की गलत सोच को दर्शाता है। उनके इस अभियान को स्थानीय लोगों और कलाकारों का भी समर्थन मिला।हालांकि, कुछ पर्यटकों और टूर गाइड्स ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका मानना है कि यह परंपरा डबलिन की पहचान का हिस्सा थी और इसे बनाए रखना चाहिए।