अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर का दुरुपयोग कर एक सुनियोजित साइबर घोटाले ने लाखों भोले-भाले श्रद्धालुओं को ठग लिया। एक वेबसाइट, झूठे वादे और करोड़ों रुपये की लूट की यह कहानी है।
प्रसाद के झांसे में फंसे श्रद्धालु
जनवरी 2024, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक क्षण नजदीक था। देश-विदेश के करोड़ों भक्त इस पावन घटना से जुड़ना चाहते थे। इसी भावनात्मक लहर का फायदा उठाने के लिए एक शातिर दिमाग ने कुटिल योजना बनाई।
- झूठी वेबसाइट का जाल: आरोपी ने `khadiorganic.com` नामक एक प्रोफेशनल दिखने वाली वेबसाइट बनाई।
- आकर्षक ऑफर: वेबसाइट पर दावा किया गया कि मात्र 51 रुपये (भारतीय नागरिकों के लिए) या 11 डॉलर (विदेशी नागरिकों के लिए) का "सुविधा शुल्क" देकर कोई भी श्रद्धालु अयोध्या से पावन प्रसाद अपने घर बुक करवा सकता है। यह प्रसाद 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भेजा जाना था।
- भावनाओं से खिलवाड़: मंदिर के प्रति गहरी श्रद्धा और घर बैठे प्रसाद पाने की इच्छा ने लाखों लोगों को इस झांसे में डाल दिया।
चार करोड़ से अधिक की ठगी: बेनामी पेमेंट का भूल-भुलैया
इस झूठे वादे ने तेजी से पंख पकड़े:
1. विस्फोटक प्रतिक्रिया: वेबसाइट वायरल हुई और भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भुगतान कर दिया।
2. मल्टीपल पेमेंट चैनल्स: आरोपी ने पैसे इकट्ठा करने के लिए कई रास्ते बनाए:
- बैंक खाते (YES Bank, IDFC, TMB)
- डिजिटल वॉलेट (Paytm, PhonePe, MobiKwik)
- पेमेंट गेटवे (Lyra-V2 आदि)
- यूपीआई (UPI) के जरिए हजारों लेनदेन।
3. बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी: कुल मिलाकर 6.3 लाख से अधिक लोगों से कथित सुविधा शुल्क के रूप में 3.85 करोड़ रुपये** ठग लिए गए।
सच्चाई का खुलासा: कोई प्रसाद नहीं, सिर्फ ठगी!
- जल्द ही संदेह पैदा हुआ। 17 जनवरी को अयोध्या साइबर क्राइम थाने को सूचना मिली कि राम मंदिर के नाम पर ऑनलाइन पैसे वसूले जा रहे हैं।
- पुलिस जांच ने पोल खोली: थाना प्रभारी मोहम्मद अरशद के नेतृत्व में जांच शुरू हुई। पता चला कि प्रसाद भेजने की कोई वास्तविक योजना या व्यवस्था कभी थी ही नहीं।
- योजनाबद्ध धोखाधड़ी: यह पूरा प्रकरण एक सुनियोजित साइबर फ्रॉड था, जिसमें भक्तों की भावनाओं का शोषण करके उन्हें ठगा गया।
गिरफ्तारी: विदेशी पासपोर्ट वाला मास्टरमाइंड
जांच ने पुलिस को सीधे मुख्य आरोपी तक पहुंचाया:
- पहचान: आरोपी आशीष कुमार, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का निवासी।
- विदेशी कनेक्शन: हैरान करने वाला तथ्य यह सामने आया कि आशीष कुमार के पास एक विदेशी पासपोर्ट भी था, जो जब्त किया गया।
- मास्टरमाइंड: वह इस पूरे साइबर ठगी के पीछे का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया।
- कानूनी कार्रवाई: तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक कुमार की रिपोर्ट पर आरोपी के खिलाफ कड़ी कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया:
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (ठगी)
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 66D (इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी)
- पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12(3) (पासपोर्ट नियमों का उल्लंघन)
- आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
पीड़ितों को राहत: वापसी की प्रक्रिया जारी
पुलिस ने न केवल आरोपी को पकड़ा, बल्कि पीड़ितों का पैसा वापस दिलाने के लिए तत्परता से काम किया:
1. धनराशि फ्रीज: साइबर टीम ने तुरंत संबंधित बैंकों, डिजिटल वॉलेट और पेमेंट गेटवे से संपर्क किया और ठगे गए 3.85 करोड़ रुपये को फ्रीज कराया।
2. क्रमिक वापसी: अब तक की स्थिति के अनुसार:
- कुल ठगी की राशि: ₹3.85 करोड़
- अब तक वापस की गई राशि: ₹2.15 करोड़
- वापसी प्राप्त करने वाले पीड़ित: लगभग 3.72 लाख
- शेष बची राशि: ₹1.70 करोड़
3. चल रही प्रक्रिया: शेष ₹1.70 करोड़ रुपये की वापसी की प्रक्रिया पुलिस की विवेचना और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत जारी है। अन्य पीड़ितों को भी उनका पैसा लौटाया जा रहा है।
सबक और सावधानियां: ऑनलाइन श्रद्धा से सावधान!
यह घटना साइबर ठगी की बढ़ती बारीकियों और हमारी भावनाओं का गलत फायदा उठाने वालों की नीयत पर प्रकाश डालती है। याद रखें:
- आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें: राम मंदिर प्रबंधन या अयोध्या प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट/सोशल मीडिया के अलावा किसी अन्य स्रोत से जुड़ी सेवाओं/ऑफर पर विश्वास न करें।
- URL और वेबसाइट जांचें: किसी भी लिंक पर क्लिक करने या भुगतान करने से पहले वेबसाइट का पता (URL) और उसकी प्रामाणिकता अच्छी तरह जांच लें। छोटे-मोटे अंतर (जैसे `.com` की जगह `.org` या `.in`) पर ध्यान दें।
- अनावश्यक पेमेंट से बचें: प्रसाद जैसी पवित्र चीजें आमतौर पर "सुविधा शुल्क" लेकर नहीं भेजी जातीं। ऐसे किसी भी शुल्क के लिए पेमेंट करना संदेहास्पद है।
- बिना सोचे-समझे न क्लिक करें: भावुक बनकर जल्दबाजी में किसी भी ऑफर पर क्लिक न करें या भुगतान न करें।
- शिकायत दर्ज कराएं: अगर आपको किसी प्रकार का संदेह हो या आप ठगी का शिकार बन गए हों, तो तुरंत अपने नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन या राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज कराएं।
निष्कर्ष: अयोध्या राम मंदिर प्रसाद घोटाला न केवल एक बड़े आर्थिक धोखे की कहानी है, बल्कि यह धार्मिक आस्था और सद्भावना के दुरुपयोग की गंभीर मिसाल भी है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और पीड़ितों को धन वापस दिलाने का प्रयास सराहनीय है, लेकिन यह घटना हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि डिजिटल दुनिया में भी सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। श्रद्धा के नाम पर चलने वाले ऐसे शातिर जालों से सावधान रहें।