सतना/चित्रकूट: जहां साफ-सफाई जनता का बुनियादी हक होना चाहिए, वहां सतना जिले के नाले-नालियां आज भ्रष्टाचार के कुंभीपाक की गवाह बन रहे हैं। भाजपा के चित्रकूट विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने नाला-नाली सफाई के नाम पर 1 करोड़ 70 लाख रुपये की बेशर्मी से गबन की है। यह पैसा कागजों पर तो 'खर्च' हो गया, मगर जमीन पर आज भी नाले गंदगी से अटे पड़े हैं, और आम आदमी की सांसें बदबू से फूल रही हैं।
कागजों पर सफाई, जमीन पर गंदगी: घोटाले की पोल खोलती जमीनी हकीकत
स्थानीय निवासियों की आवाज में गुस्सा और हताशा साफ झलकती है। "सालों से यही नाटक चल रहा है," एक बुजुर्ग निवासी बताते हैं, उनकी आंखों के सामने शायद बीते कई मानसूनों की तस्वीरें घूम रही हैं। "कागजों में हर साल करोड़ों रुपये की सफाई दिखा दी जाती है। टेंडर होते हैं, बिल पास होते हैं, मगर आप खुद आकर देख लीजिए – ये नाले कभी साफ हुए क्या?"
हकीकत कड़वी है:
- नाले अटे हैं, गंदगी सड़ रही है: सफाई के नाम पर आवंटित करोड़ों के बावजूद, नाले और नालियां कचरे, प्लास्टिक और गाद से भरे हुए हैं।
- बारिश = बाढ़ और बीमारी: जैसे ही पहली बूंद गिरती है, सड़कें नहर बन जाती हैं। जलभराव न सिर्फ आवाजाही रोकता है, बल्कि मच्छरों का अड्डा बनकर डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों को न्यौता देता है। "बारिश का मौसम आते ही हमारा दुख शुरू हो जाता है," एक महिला आवासी कॉलोनी में रहने वाली महिला कहती हैं। "घर में पानी घुसने का डर, बच्चों के बीमार पड़ने का खतरा... और ये सब उन पैसों के बावजूद जो हमारे टैक्स से सफाई पर खर्च हुए!"
- कागजी खानापूर्ति का खेल: आरोप है कि सफाई कार्य सिर्फ दस्तावेजों में पूरे दिखाए गए। वास्तविक कार्य या तो हुआ ही नहीं, या फिर नाममात्र का हुआ। 1.70 करोड़ रुपये, जो जनता की गाढ़ी कमाई से आए, वे किसकी जेब में 'साफ' हो गए?
विपक्ष का हमला: "यह भ्रष्टाचार की गटर राजनीति है!"
इस बेशर्म घोटाले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता आग बबूला हैं।
- कड़ी निंदा और जांच की मांग: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले को उजागर करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव से तत्काल उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका आरोप साफ है: यह सिर्फ धन का दुरुपयोग नहीं, बल्कि जनता के साथ विश्वासघात और सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ है।
- "गटर राजनीति" का आरोप: कांग्रेस ने इसे सीधे तौर पर "भ्रष्टाचार की गटर राजनीति" करार दिया है। उनका कहना है कि जनता की बुनियादी जरूरतों को भी भ्रष्टाचार के गटर में बहा दिया गया है।
- विधायक पर सीधा निशाना: विपक्ष ने सीधे विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार को निशाने पर लेते हुए पूछा है कि उनके क्षेत्र में आवंटित यह भारी रकम आखिर गई कहां, अगर जमीन पर कोई काम दिखाई नहीं देता?
जनता का सीधा सवाल: "पैसा गया कहां? बदबू क्यों आ रही है?"
इस पूरे घोटाले का सबसे दर्दनाक पहलू है आम जनता की पीड़ा और उसके मन में उठते सवाल। गंदे नालों के किनारे रहने वाले लोगों के चेहरे पर नाराजगी और निराशा साफ झलकती है।
- "1.70 करोड़ खर्च हुए, पर नतीजा क्या?": एक युवा दुकानदार गुस्से में पूछता है, "हमारे टैक्स का पैसा लिया गया, बिल बनाए गए, लेकिन काम हुआ कहां? हमारी गलियों में आज भी वही गंदगी, वही बदबू।"
- स्वास्थ्य की चिंता: माताएं चिंतित हैं, "बच्चे बारिश में इन्हीं गंदे पानी में खेलते हैं। बुखार, चर्म रोग... डॉक्टर के पास भागते रहते हैं। क्या यही है विकास?"
- न्याय की गुहार: सबसे बड़ा सवाल यही है कि "क्या जनता को न्याय मिलेगा?" क्या यह मामला भी अनगिनत घोटालों की तरह फाइलों की धूल में दफन हो जाएगा, या फिर दोषियों को सजा मिलेगी? जनता की निगाहें अब प्रशासन और सरकार पर टिकी हैं।
अगला कदम: क्या मिलेगा इंसाफ, या गुम हो जाएगा गटर में?
यह सिर्फ 1.70 करोड़ रुपये का मामला नहीं है। यह जनता के विश्वास, उसके स्वास्थ्य और उसकी गरिमा से खिलवाड़ का मामला है। सतना के गंदे नाले इस बात की गवाही दे रहे हैं कि कैसे भ्रष्टाचार की गंदगी ने बुनियादी सेवाओं तक को दूषित कर दिया है।
- मांग है पारदर्शी जांच की: जनता और विपक्ष की स्पष्ट मांग है कि इस मामले की कठोर और निष्पक्ष जांच हो। कागजी कार्रवाई के पीछे छिपे सच को सामने लाया जाए।
- जवाबदेही तय हो: अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषियों को, चाहे वे कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हों, कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। साथ ही, गबन किए गए धन की वसूली कर जनता के काम में लगाना चाहिए।
- काम दिखे जमीन पर: सबसे जरूरी है कि सतना और चित्रकूट की जनता को उनका हक मिले – साफ-सुथरे नाले, जलभराव से मुक्त सड़कें और बीमारियों से बचाव।
सवाल यही है: क्या इस बार भी भ्रष्टाचार के गटर में सच डूब जाएगा, या फिर जनता के गुस्से और मांग की आवाज सुनी जाएगी? सतना की जनता सिर्फ कागजी दावों से नहीं, बल्कि असली सफाई और न्याय की मांग कर रही है। उन्हें जवाब चाहिए। उन्हें इंसाफ चाहिए।