सागर में बड़ी कार्रवाई: 50 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा गया अधिकारी
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान के तहत एक बार फिर लोकायुक्त ने बड़ी कार्रवाई की है। सागर जिले में एक वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी को 50 हज़ार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा गया। हैरानी की बात यह है कि यह अधिकारी अगले दिन (30 जून) रिटायर होने वाला था, लेकिन भ्रष्टाचार की हड़प में उसका आखिरी दिन भी खराब हो गया।
क्या हुआ था पूरा मामला?
1. दुकानदार ने की थी शिकायत
सागर के एक कृषि उत्पाद दुकानदार सुनील कुमार जैन ने लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि वह "कृषक खुशहाली" नाम से कृषि दवाइयों की दुकान चलाते हैं और उनका लाइसेंस कृषि विभाग से जारी होता है।
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- उन्हें अपने दुकान के लाइसेंस का रिन्यूअल कराना था।
- साथ ही, PC (प्रिंसिपल सर्टिफिकेट) चढ़ाना और मक्का की सैंपल रिपोर्ट अपने पक्ष में करानी थी।
इन कामों के लिए जब वह वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी संतोष कुमार जैन के पास पहुंचे, तो अधिकारी ने 50 हज़ार रुपये रिश्वत मांगी।
2. लोकायुक्त ने लगाया जाल
शिकायत मिलते ही लोकायुक्त की टीम ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। 28 जून को दुकानदार की शिकायत के अगले ही दिन, टीम ने संतोष कुमार जैन को सुनील जैन की दुकान पर रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ लिया।
3. अधिकारी का रिटायरमेंट एक दिन बाद होना था
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संतोष कुमार जैन 30 जून को रिटायर होने वाले थे। यानी, उन्हें सिर्फ एक दिन और सेवा में रहना था, लेकिन भ्रष्टाचार की लालच ने उनकी पूरी सेवा पर बट्टा लगा दिया।
मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार के मामले
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की टीम लगातार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। हाल ही में कई मामलों में अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है, लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
क्यों नहीं रुक रहा भ्रष्टाचार?
- लालच की प्रवृत्ति – कई अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हैं।
- कमजोर निगरानी तंत्र – कुछ मामलों में शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई नहीं होती।
- दंड का डर न होना – कई बार भ्रष्ट अधिकारी बच निकलते हैं, जिससे दूसरों को भी हिम्मत मिलती है।
क्या होगा आगे?
अब संतोष कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा।
रिटायरमेंट के बाद भी मिल सकती है सजा
चूंकि यह मामला सेवाकाल में ही हुआ है, इसलिए उनकी रिटायरमेंट के बावजूद उन पर कार्रवाई जारी रहेगी। अगर वह दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें जेल की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार की जड़ें अभी भी गहरी
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें अभी भी प्रशासनिक तंत्र में गहराई तक फैली हुई हैं। अधिकारियों को यह समझना होगा कि लोकायुक्त और सतर्क नागरिकों की नजरें हमेशा उन पर होती हैं। अगर वे गलत रास्ते पर चलते हैं, तो उनका आखिरी दिन भी जेल में बीत सकता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करे, ताकि ऐसे मामले कम हो सकें। वहीं, आम नागरिकों को भी रिश्वत देने या लेने से बचना चाहिए और ऐसे मामलों की शिकायत तुरंत करनी चाहिए।
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