Hepatitis-C: एक साइलेंट किलर जिस पर रहना होगा अलर्ट
मध्य प्रदेश में बढ़ रहा Hepatitis-C का खतरा
वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने Hepatitis-C को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। यह बीमारी एक "साइलेंट किलर" की तरह फैल रही है, जिससे मध्य प्रदेश में करीब 20 लाख लोग प्रभावित हैं। संक्रमित रक्त चढ़ाने, असुरक्षित यौन संबंध और नशीली दवाओं की सुइयों के इस्तेमाल से यह वायरस तेजी से फैल रहा है।
![]() |
प्रतीकात्मक चित्र |
क्यों खतरनाक है Hepatitis-C?
हेपेटाइटिस-सी लीवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने वाला वायरस है, जो लीवर में सूजन और संक्रमण पैदा करता है। अगर समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह लीवर सिरोसिस, लीवर फेलियर और यहां तक कि लीवर कैंसर का कारण बन सकता है।
लक्षणों को पहचानें
इस बीमारी की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके लक्षण देर से दिखाई देते हैं। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
- पेट में दर्द और सूजन
- लगातार थकान और कमजोरी
- पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
- गहरे रंग का मूत्र
- भूख न लगना और मतली
- स्टूल का रंग असामान्य होना
क्यों बढ़ रहा है हेपेटाइटिस-सी का प्रकोप?
1. क्लिनिकल रिसर्च की कमी
भोपाल सहित प्रदेश के बड़े शहरों में प्रशिक्षित क्लिनिकल रिसर्च प्रोफेशनल्स की भारी कमी है, जिसके कारण इस बीमारी पर समय रहते शोध नहीं हो पा रहा है।
2. जागरूकता का अभाव
अधिकांश लोगों को इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं है, जिससे यह चुपके से फैल रही है।
3. असुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाएं
संक्रमित सुइयों, अनियंत्रित ब्लड ट्रांसफ्यूजन और असुरक्षित यौन संबंध इसके प्रमुख कारण हैं।
क्या है इलाज और बचाव के उपाय?
- सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जांच और दवाएं उपलब्ध हैं।
- नियमित ब्लड टेस्ट करवाकर इसकी पहचान की जा सकती है
- सुरक्षित यौन संबंध और स्टरलाइज्ड सुइयों का इस्तेमाल करें।
- हेपेटाइटिस-सी का टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन एंटीवायरल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है।
महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी जरूरी है ध्यान
सेमिनार में महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी चिंता जताई गई। कामकाजी महिलाओं में तनाव, अवसाद और चिंता विकार बढ़ रहे हैं, लेकिन इस पर अभी तक कोई बड़ा सर्वे नहीं हुआ है। डॉ. रीनू यादव ने इस दिशा में शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
निष्कर्ष
हेपेटाइटिस-सी एक गंभीर बीमारी है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। जागरूकता, सुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाएं और समय पर इलाज से इसके प्रसार को रोका जा सकता है। साथ ही, महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी ठोस कदम उठाने होंगे।
>सतर्क रहें, स्वस्थ रहें!