इंदौर: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की मिसाल
सफाई कर्मी की नियुक्ति के नाम पर 15 हज़ार की मांग, लोकायुक्त ने फंसाया जाल
घटनाक्रम:
इंदौर के नगर निगम जोन-18 कार्यालय के अधीक्षक संजय वैध को लोकायुक्त टीम ने बुधवार को 7,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। यह मामला सफाई विभाग में ड्रेनेज कर्मी (सफाईकर्मी) की नियुक्ति के बदले रिश्वत मांगने का है। शिकायतकर्ता संजय सिंगोलिया ने बताया कि अधीक्षक ने उनसे कुल 15,000 रुपये की मांग की थी, जिसमें से 5,000 रुपये उसने पहले ही दे दिए थे।
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पृष्ठभूमि:
- शिकायतकर्ता संजय सिंगोलिया 2008 से 2024 तक इंदौर के विभिन्न जोन में मास्टर ड्रेनेज कर्मी के रूप में कार्यरत रहा।
- जुलाई 2024 में उसे कार्यमुक्त कर दिया गया, लेकिन 13 मई 2025 को उपायुक्त के आदेश पर उसे पुनः नियुक्ति मिल गई।
- नियुक्ति पत्र लेने के लिए जब संजय, ऑफिस अधीक्षक संजय वैध के पास पहुंचा, तो उसने 20,000 रुपये की मांग की। लंबी बातचीत के बाद यह रकम 15,000 रुपये तय हुई।
लोकायुक्त की स्टिंग ऑपरेशन: वर्ल्ड कप चौराहे पर हुआ ड्रामाई एक्शन
कैसे पकड़ा गया अधीक्षक?
1. शिकायतकर्ता ने 5,000 रुपये देने के बाद लोकायुक्त को सूचना दी।
2. लोकायुक्त टीम ने जांच में शिकायत को सही पाया और 7,000 रुपये के साथ संजय को अधीक्षक के पास भेजा।
3. अधीक्षक ने रिश्वत लेने के लिए संजय को वर्ल्ड कप चौराहे के पास बुलाया, जहां पहले से मौजूद टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।
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लोकायुक्त के आंकड़े चिंताजनक:
- मध्यप्रदेश में पिछले कुछ महीनों से हर दूसरे दिन कोई न कोई अधिकारी/कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़ा जा रहा है।
- लोकायुक्त एसपी राजेश सहाय के अनुसार, "यह केस साबित करता है कि सिस्टम में सुधार की गुंजाइश अभी बाकी है। हम ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।"
नगर निगम प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
क्या कहता है नियम?
- सरकारी नौकरियों में नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में अधीक्षक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मेरिट को रिश्वत से तौला।
- आम नागरिकों का सवाल: "क्या सफाई कर्मचारी जैसे निचले पदों पर भी रिश्वत देनी पड़ेगी?"
आगे की कार्रवाई: अब क्या होगा संजय वैध का?
- लोकायुक्त टीम ने अधीक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।
- संबंधित विभाग को पदस्थ अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
निष्कर्ष: सिस्टम में बदलाव की जरूरत
यह घटना न केवल नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अभी लंबी है। लोकायुक्त की त्वरित कार्रवाई नागरिकों के लिए एक सकारात्मक संदेश है, लेकिन सरकारी तंत्र को ऐसे "रिश्वतखोरों" के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी सख्ती से लागू करनी होगी।
नोट: इस मामले में आरोपी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया जारी है। लोकायुक्त ने आम जनता से ऐसे मामलों की शिकायत तुरंत करने की अपील की है।